उत्तरकाशी, जून 3 -- नेताला स्थित तपस्यालम आश्रम की स्वामिनी प्रमानंदा ने कहा कि गंगा तटों की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को सहेजने के लिए सरकार को गंगा घाटों के निर्माण और गंगा संस्कृति केंद्रों की स्थापना पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मंगलवार को आश्रम में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच स्थित पंच प्रयागों का आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी पुस्तक में गंगोत्री घाटी में स्थित पांच प्रयागों गंगा प्रयाग, हरि प्रयाग, सोन प्रयाग, भास्कर प्रयाग और उत्तर प्रयाग का विशेष उल्लेख किया है। ये स्थल गंगा की संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक हैं, जिन्हें गंगा संस्कृति केंद्रों के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। स्वामिनी प्रमानंदा ने कहा कि मां गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति...