नई दिल्ली, मई 30 -- संगीता को घूमना बेहद पसंद है, लेकिन वह परेश को कहीं साथ घूमने जाने के लिए नहीं कह पाती है। उसे लगता है कि परेश को यह बात अपने-आप समझनी चाहिए। संगीता मन की बात कहती नहीं है, लेकिन मन ही मन कुढ़ती भी रहती है। उसकी यह आदत दोनों के बीच के रिश्ते को भी बिगाड़ रही है। शोध कहते हैं कि पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका के रिश्ते की मजबूती के लिए रिश्ते के प्रति अपनी अपेक्षा को मन में रखने की बजाय साथी को कहना जरूरी है। विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रेम में चुप रहकर 'सौ सुख' की तलाश करना दरअसल 'सौ उलझनों' को न्योता देने जैसा है। जब हम अपने साथी से खुलकर बात करते हैं, अपने मन की बात साझा करते हैं, तो न केवल भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है, बल्कि तनाव और मनमुटाव की गुंजाइश भी बहुत कम हो जाती है। कडाबम्स माइंडटॉक की कार्यकारी निदेशक और वरिष्ठ मनोवैज...