परमहंस योगानंद, जुलाई 29 -- जीवन और मृत्यु के विषय में जानने योग्य बहुत-सी अद्भुत बातें हैं। ध्यान ही एक मार्ग है, जिससे इन्हें जाना जा सकता है। इस संसार में ईश्वर के पुत्र की भांति जीना सीखें। मनुष्य के लिए मृत्यु आतंक बनी हुई है, क्योंकि उसने ईश्वर को अपने जीवन से बाहर कर दिया है। सभी कष्टदायक वस्तुएं हमें डराती हैं, क्योंकि हम संसार से इसके रहस्य एवं ध्येय को समझे बिना प्रेम करते हैं। जब हम प्रत्येक वस्तु को ईश्वर के रूप में देखते हैं, तब हमें कोई भय नहीं रहता। हम जीवन और मृत्यु में निरंतर 'जन्म लेते' रहते हैं। 'मृत्यु' एक बहुत गलत प्रयुक्त नाम है। जब आप जीवन से थक जाते हैं, तब आप केवल अपने शरीर रूपी ऊपरी चोले को उतार देते हैं और सूक्ष्म जगत में वापस चले जाते हैं। मृत्यु का अर्थ है- अंत। एक कार, जिसके पुर्जे घिस चुके हैं, वह मृत हो गई ...
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