अररिया, मार्च 14 -- अररिया, वरीय संवाददाता सबको पता है कि अमरकथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु जी खाने के बड़े शौकीन थे। होली में अपने पसंद का व्यंजन वे खुद बनाते थे। इसके बाद वे गांव के जागिरा में शामिल भी होते थे। सुर, लय व ताल के साथ रेणु जी जोगिरा ही नहीं गाते बल्कि ढोल, मृदृंग, हरमोनियम व झाल बजाने में भी माहिर थे। रेणु के सबसे छोटे बेटे दक्षिणेश्वर राय पप्पू बताते हैं कि ... अक्सर होली में बापू जी यानी रेणु अपने गांव आ जाते थे। इसके बाद गांव के मित्रों के साथ बैठकर होली की पूरी तैयारी जूट जाते थे। पप्पू के अनुसार मां कहती थी कि बाबू जी होली के दिन सबसे पहले अपनी पसंदीदा पकवान मालपुआ की तैयारी खुद करते। मैदा में काजू, किशमिश, नारियल का बुरादा, सौंफ, दूध,चीनी, गुड़ और गमकौआ मालभोग केला डलवाकर खुद से उसका मिश्रण कर मिट्टी के दुल्हे पर कड़ाही डल...
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