हमीरपुर, नवम्बर 4 -- हमीरपुर/मौदहा, संवाददाता। लोकतंत्र में वोट की ताकत से सरकारें बदलने का भले ही जनता के पास अधिकार हो, लेकिन छानी-भटुरी मार्ग के साढ़े चार किमी दलदली रास्ते में बसे तीन डेरों परसदवा, यादवों का डेरा और गोपाल का डेरा के बाशिंदे चाहकर भी लोकसभा-विधानसभा चुनाव के लिए वोट नहीं कर पाते हैं। खासकर 60 साल से ऊपर के बूढ़े-बुजुर्गों के लिए ऊबड़-खाबड़ रास्तों से पोलिंग स्टेशन का सफर करना मुश्किल होता है। लेकिन यही बूढ़े-बुजुर्ग त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वोट करने के लिए प्रत्याशियों की मेहेरबानी से बूथ तक पहुंच जाते हैं। सड़क के नाम पर दलदल और कीचड़युक्त रास्तों में दशकों से चलते चले आ रहे इन तीन डेरों के बाशिंदों का सब्र धीरे-धीरे जवाब दे चुका है। सड़क न बनने से यहां के लोगों का विश्वास जनप्रतिनिधियों से भी उठने लगा है। केवल साढे़ चार क...
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