नई दिल्ली, दिसम्बर 3 -- भारतीय रुपया बुधवार को 90 प्रति डॉलर के अहम मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे खिसक गया। व्यापार और निवेश के लिए डॉलर का निकलना और कंपनियों द्वारा आगे की कमजोरी से बचाव (हेजिंग) की होड़ ने मुद्रा पर दबाव बनाया है और इस तरह आठ महीने से जारी गिरावट को बढ़ावा मिला है।अमेरिकी टैरिफ ने बढ़ाई मुसीबत रुपया इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले 5% गिरकर एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में शामिल हो गया है। भारत के सबसे बड़े बाजार अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर 50% तक के उच्च शुल्क (टैरिफ) के कारण निर्यात प्रभावित हुआ है, जिससे विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय शेयरों का आकर्षण कम हुआ है।निवेशक पैसा निकाल रहे, प्रत्यक्ष निवेश भी ठंडा वैश्विक स्तर पर पोर्टफोलियो निवेश बहिर्वाह (पैसे की निकासी) से सबसे ज्यादा प्रभावित बाजारों में भ...