चंडीगढ़, अगस्त 22 -- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) के गलत इस्तेमाल को लेकर देश में लंबे समय से विवाद होते रहे हैं। इस बीच, पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने ही सवाल उठाए हैं कि क्या SC/ST Act के तहत वंचित अनुसूचित जाति समुदाय के आरोपी को सजा दी जा सकती है। कोर्ट ने संदिग्ध परिस्थितियों का हवाला देते हुए इसी अधिनियम के तहत आरोपी एक शख्स को जमानत दे दी। निचली अदालत ने उसकी जमानत अर्जी नामंजूर कर दी थी। जस्टिस मनीषा बत्रा ने कहा, "उसे प्राथमिकी दर्ज होने के 425 दिनों के अंतराल के बाद गिरफ्तार किया गया था। प्राथमिकी की विषय-वस्तु के अवलोकन से पता चलता है कि पीड़ित को उसकी जाति के नाम से पुकारे जाने का आरोप विशेष रूप से उस पर नहीं लगाया गया है। वैसे भी जेल में बंद शख्स खुद भी वंचित अनुसूचित जाति की श्रेणी में...