अश्विनी कुमार, दिसम्बर 9 -- मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठ कर पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। इस परिक्रमा के दौरान सूर्य का रथ एक क्षण के लिए भी नहीं रुकता। निरंतर चलने और सूर्य के तेज से घोड़े प्यास तथा थकान से व्याकुल होने लगे। घोड़ों की यह दयनीय दशा देखकर सूर्य देव उन्हें विश्राम देने के लिए और उनकी प्यास बुझाने के उद्देश्य से रथ रुकवाने का विचार करते हैं। इस कार्य में रुकावट उनकी प्रतिज्ञा थी कि वे अपनी इस अनवरत चलने वाली यात्रा में कभी विश्राम नहीं लेंगे। यह विचार करते हुए सूर्य देव का रथ आगे बढ़ रहा था। कुछ आगे बढ़ने पर सूर्य को एक तालाब के पास दो खर (गधे) दिखाई दिए। उनके मन में विचार आया कि जब तक उनके रथ के घोड़े पानी पीकर विश्राम करते हैं, तब तक इन दोनों खरों को रथ में जोतकर आगे की यात्रा जारी रखी जा...
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