नई दिल्ली, नवम्बर 27 -- भारत में उच्च शिक्षा का निजीकरण तेजी से बढ़ रहा है। प्राइवेट यूनिवर्सिटीज छात्रों को आधुनिक सुविधाएं, फ्लेक्सिबल कोर्स और कैंपस प्लेसमेंट का लालच देती हैं, लेकिन उनके संचालन, पारदर्शिता और छात्र अधिकारों को लेकर सवाल हमेशा खड़े होते रहे हैं। 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसी याचिका पर सुनवाई की, जो शुरू में एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा की एक छात्रा की नाम बदलने की साधारण मांग से जुड़ी थी। लेकिन कोर्ट ने इसे एक बड़े सार्वजनिक हित के मुद्दे में बदल दिया। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एनवी अंजरिया की बेंच ने केंद्र सरकार, सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) को देशभर की सभी प्राइवेट, डीम्ड और गैर-सरकारी यूनिवर्सिटीज के गठन, संचालन, फंडिंग और रेगुलेशन पर विस्तृत जानकारी देने का ...