नई दिल्ली, अगस्त 21 -- राष्ट्रपति की ओर से दाखिल रेफरेंस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। अदालत ने राज्य विधानसभा से पारित विधेयकों को 90 दिन की अवधि में मंजूर करने या फिर कारण सहित खारिज करने की टाइमलाइन तय किए जाने पर सवाल उठाने पर जवाब दिया। बेंच ने कहा कि क्या चुनी हुई सरकार को राज्यपाल के विवेकाधिकार के भरोसे रहना चाहिए। क्या वह हमेशा के लिए किसी बिल को रोक कर रख सकते हैं। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हम राज्यपालों को ही पूरी शक्ति नहीं दे सकते। आखिर एक चुनी हुई सरकार जो बहुमत से आई है, उसे राज्यपाल के विवेकाधिकार के भरोसे कैसे छोड़ा जा सकता है। बेंच ने कहा कि बिल को रोका जाना ना तो राज्यपाल के हित में है और ना ही विधानसभा के लिए यह सही है। 5 जजों की संवैधानिक बेंच राष्ट्रपति की ओर से दाखिल रेफरेंस पर सुनवाई क...