नई दिल्ली, मार्च 26 -- इलाहबाद हाई कोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र ने 17 मार्च को एक ऐसा फैसला सुनाया, जिसने देशभर में विवाद उत्पन्न कर दिया है। उन्होंने यह एक फैसले में कहा कि स्तनों को पकड़ना या पजामे का धागा तोड़ना बलात्कार के प्रयास के तहत नहीं आता। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने "निर्मम" और "संवेदनहीन" करार दिया, जिससे जस्टिस मिश्र की कड़ी आलोचना हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को रोक दिया और इसे कानूनी मानकों का उल्लंघन माना। कोर्ट ने कहा कि यह फैसला बेहद गंभीर है और न्यायाधीश ने इस मामले में पूरी तरह से संवेदनहीनता दिखाई। बेंच ने यह भी कहा कि इस फैसले को तैयार करने में चार महीने का वक्त लिया गया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जस्टिस मिश्र ने इस पर गहरे विचार के बाद फैसला लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 'वी द विमेन ऑफ इंडिया' संगठन की...
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