गंगापार, अक्टूबर 11 -- दो-तीन दशक पहले कौंधियारा के कछारी इलाकों में ज्वार, बाजरा, रागी जैसी मोटे अनाज की खेती आम थी। लेकिन समय के साथ किसान गेहूं और धान जैसी फसलों की ओर रुख करने लगे और मोटे अनाज धीरे-धीरे खेतों से गायब हो गए। हाल के वर्षों में किसान फिर मोटे अनाजों की ओर लौट रहे हैं। बाजरा और ज्वार में आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन और मैंगनीज जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। सरकार भी कुपोषण मिटाने के लिए इन्हें आहार में शामिल करने पर जोर दे रही है। सोढिया गांव के संजय पाल बताते हैं कि पहले अगहन से चैत तक लोग ज्वार-बाजरे की रोटी खाते थे। अब बड़े शहरों के लोग भी बाजरे और ज्वार के मिश्रित आटे की रोटी की पौष्टिकता को समझ रहे हैं। कौंधियारा में सोढिया, बेनीपुर,कोल्हुआ, लालाकपुरा सहित अन्य गाँवों में मोटे अनाज की वापसी किसान...
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