नई दिल्ली, सितम्बर 24 -- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2016 सुरजागढ़ लौह अयस्क खदान आगजनी मामले में वकील सुरेंद्र गाडलिंग के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही में देरी पर चिंता जताई। अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या किसी व्यक्ति को विचाराधीन कैदी के रूप में लंबे समय तक हिरासत में रखा जा सकता है। न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू से पूछा कि मुकदमा क्यों नहीं चल रहा है और किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के कितने साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। राजू ने पीठ को बताया कि मुकदमे में देरी खुद गाडलिंग की वजह से हुई है और उन्होंने आरोपमुक्ति के लिए आवेदन दायर किया है, लेकिन जब तक उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की अनुमति नहीं मिलती, तब तक वे इस पर बहस...
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