कुशीनगर, मार्च 20 -- कुशीनगर। नदियों के दोआब में बसे भगवान बुद्ध की धरती कुशीनगर की आबोहवा अब गौरैया पक्षी को भाने लगी है। कोरोना काल के पहले विलुप्त होने के कगार पर पहुंची गौरैया की चहचहाहत गांव समेत मोहल्लों की गलियों में सुनाई देने लगी है। कोरोना काल के दौरान लंबे समय तक लगे लॉकडाउन के बाद से जिले के पर्यावरण में काफी सुधार हुआ है। इसी का देन है कि गौरैयों की चहचहाहट सुनने और उन्हें देखने को मिल रहा है। वन विभाग की मानें तो इनके कुनबों में साल दर साल बढोत्तरी हुई है। भगवान बुद्ध की धरती आधा दर्जन नदियों के दोआब में बसी है। इनमें बड़ी गंडक नारायणी नदी, छोटी गंडक नदी, बांसी नदी, झरही नदी, हिरण्यवती नदी, घाघी नदी, बाड़ी नदी, कुकुत्था आदि नदियां शामिल हैं। इन नदियों के चलते कुशीनगर का पर्यावरण सुहाना होने के साथ दोआब की मिट्टी सोना उगलती ह...
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