गंगापार, अगस्त 1 -- जिन हाथों में कापी किताब और कलम होना चाहिए उन हाथों में मछली मारने वाले बांस के डंडे है, जो इससे छूट गये वो धान की रोपाई करने लगे। कोरांव के परिषदीय स्कूलों में नामांकित अधिकांश बच्चों का यह सिलसिला स्कूल खुलते ही शुरू हो गया है जो अभी भी जारी है। इन हालातों में शासन के 80 प्रतिशत उपस्थिति के आदेश को लेकर अध्यापक गांवों की गलियों में घूम-घूम कर बच्चों और उनके अभिभावकों को मनाने में लगे हैं। यह हालत पहाड़ के किनारे वाले पैतिंहा, छापर, हरदौन, गडिया मुरलीपुर, झलमल, हड़िया, मानपुर के साथ लापर के अधिकांश गांवों की है। यदि 80 प्रतिशत से कम उपस्थिति हुई तो अध्यापक के वेतन के साथ- साथ इंक्रीमेंट भी रोकने के आदेश हैं। जबकि 15 जुलाई के पहले यह बाध्यता 70 प्रतिशत थी। ऐसी स्थिति में कोरांव का शायद ऐसा कोई स्कूल होगा जहां 60 प्रतिश...