गुमला, जुलाई 21 -- गुमला, अमरनाथ कश्यप। जिले के डुमरी प्रखंड अंतर्गत लगभग 95 किमी दूर स्थित कोरवा आदिम जनजाति बहुल औंरापाठ गांव को मॉडल विलेज के रूप में विकसित किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा अति पिछड़ा जनजातीय समूह घोषित कोरवा समुदाय की सामाजिक व सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गुमला जिला प्रशासन यहां लगातार विकासात्मक गतिविधियां संचालित कर रही है।इसी क्रम में अब गांव के सभी 62 घरों की दीवारों को पारंपरिक सोहराई पेंटिंग से सजाने की अनूठी योजना प्रारंभ की गई है। इससे एक ओर गांव की सांस्कृतिक पहचान को मजबूती मिलेगी। वहीं दूसरी ओर स्थानीय कलाकारों को भी रोजगार का अवसर मिलेगा। यह पहल कल्याण विभाग के सहयोग से प्रारंभ की गई है। सोहराई पेंटिंग झारखंड की पारंपरिक कला है, जो पशु, प्रकृति और जनजातीय जीवन के प्रतीकों को दीवारों प...