कोडरमा, मार्च 27 -- कोडरमा,सतीश कुमार रंगमंच कला किसी भी समाज की सांस्कृतिक पहचान होती है। लेकिन कोडरमा में इस कला को संरक्षित करने आवश्यक संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। जिले में उचित ऑडिटोरियम और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। इससे स्थानीय कलाकारों को अपने हुनर को निखारने और प्रस्तुत करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। हाल के वर्षों में कोडरमा के कई कलाकारों ने अपनी प्रतिभा के दम पर पहचान बनाई है। लेकिन स्थानीय स्तर पर मंच और संसाधनों की कमी के कारण उनका विकास सीमित रह जाता है। यदि प्रशासन इस दिशा में ध्यान दे और कोडरमा में रंगमंच को पुनर्जीवित करने के लिए उचित कदम उठाए, तो जिले के कलाकार भी देशभर में अपनी छाप छोड़ सकते हैं।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित...