झुंझुनूं, अक्टूबर 27 -- झुंझुनूं की गलियों में नाम तो पहले भी सुना जाता था जितेंद्र उर्फ जोनी मेघवाल। 22 साल का यह नौजवान, जिसे मोहल्ले वाले "शांत और हंसमुख लड़का" कहते थे, धीरे-धीरे अपराध की दुनिया में फिसलता चला गया। उसे सिर्फ एक चीज की तलाश थी पैसा और पहचान। और वही तलाश उसे ऐसे रास्ते पर ले गई, जहां से लौटना अब मुमकिन नहीं। कहानी शुरू होती है करीब एक साल पहले। जोनी अक्सर झुंझुनूं के स्थानीय युवाओं के साथ घूमता, छोटी-मोटी देसी शराब की पार्टियां करता और फेसबुक पर गैंगस्टर-स्टाइल फोटो डालता। उसके आदर्श थे मंदीप उर्फ मदिया और उसके जैसे लोग, जिनकी जेब में नोट, और ज़ुबान पर डर होता था। धीरे-धीरे जोनी मदिया गैंग से जुड़ने लगा पहले वाहनों की आवाजाही की खबरें देना, फिर छोटे झगड़ों में "मध्यस्थ" बनना। पुलिस की नजरों से बचा रहने वाला यह युवा, अपर...