नई दिल्ली, अक्टूबर 24 -- भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जो रोजाना 2.3 करोड़ से ज्यादा यात्रियों को ढोता है। 1.35 लाख किलोमीटर से अधिक ट्रैक पर दौड़ने वाली ये ट्रेनें न सिर्फ देश को जोड़ती हैं, बल्कि हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन का वो पांच अंकों वाला नंबर- जैसे 12345 या 22641 आखिर कैसे तय होता है? ये कोई रैंडम संख्याएं नहीं हैं। ये एक वैज्ञानिक, तार्किक और ऐतिहासिक प्रणाली का हिस्सा हैं, जो ट्रेन की पहचान, प्रकार, जोन और दिशा सब कुछ बताती हैं। आज हम इसी रहस्य को खोलेंगे- इतिहास से लेकर वर्तमान तक, तरीके से लेकर वजह तक, सब कुछ विस्तार से समझेंगे।भारतीय रेलवे का इतिहास: नंबरिंग सिस्टम की जड़ें भारतीय रेलवे की कहानी 1853 से शुरू होती है, जब 16 अप्रैल को बॉम्बे (अब मुंबई) से ठाण...