कैराना में 1962 के बाद कम होता गया निर्दलीयों का सियासी वजूद
शामली, अप्रैल 4 -- कैराना लोकसभा में 16 वीं बार सत्ता संग्राम छिड़ा है। वर्ष 1961 में अस्तित्व में आयी कैराना लोकसभा की सियासी किताबों के पन्ने पलट कर देखे तो इस सीट पर पहली बार हुए चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी यशपाल सिंह ने अपने बलूबते पर जीत दर्ज की थी लेकिन इसके बाद से निर्दलीय प्रत्याशियों का वजूद कम होता गया। नतीजा यह रहा कि शुरुआत के एक लोकसभा चुनाव के बाद कोई निर्दलीय प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर पाया है। कैराना लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी जंग छिड़ चुकी है। इस चुनाव में इस पर चौदह प्रत्याशी अपनी ताल ठोक रहे है। इनमें रालोद गठबंधन में भाजपा ने दूसरी बार प्रदीप चौधरी पर दांव खेला है। दूसरी ओर कांग्रेस से गठबंधन में सपा ने इकरा हसन को प्रत्याशी बनाया है, जबकि बसपा से श्रीपाल राणा प्रत्याशी है। इसके अलावा पांच प्रत्याशी अन्य दलों से...
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