नई दिल्ली, जून 16 -- नई दिल्ली, प्र.सं.। हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी सजा के लिए दोषी को ताउम्र कैद में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को समयपूर्व रिहाई के लिए कैदी की याचिका पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का हवाला देते हुए कहा कि दोषी कैदियों को उनके द्वारा लगाए गए कारावास की अवधि पूरी होने से पहले सहानुभूति के आधार पर रिहा करना प्राचीन हिंदू न्यायशास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। पीठ विक्रम यादव नामक एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही है। उसे वर्ष 2001 में हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। वह बिना किसी छूट के 21 साल से अधिक कारावास काट चुका है। इससे पहले सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) ने अगस्त 2020 व जून 2023 के बीच पांच बार समयपूर्व रिहाई के ल...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.