मुंबई, अप्रैल 24 -- बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 केवल तत्काल तीन तलाक को ही अपराध की श्रेणी में लाता है। इस तरह के तलाक को तलाक-ए-बिद्दत या ट्रिपल तलाक भी कहा जाता है। कोर्ट ने कहा कि कानून के तहत तलाक-ए-अहसन जैसे अन्य वैध इस्लामी तलाक के तरीकों को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है। इस फैसले के तहत, हाईकोर्ट ने एक मुस्लिम व्यक्ति और उसके माता-पिता के खिलाफ दर्ज की गई FIR को रद्द कर दिया। यह निर्णय उस मामले में आया जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति और उसके माता-पिता पर 2019 के कानून के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी, जबकि व्यक्ति ने तलाक-ए-अहसन की प्रक्रिया अपनाई थी। तलाक-ए-अहसन के तहत एक बार तलाक कहा जाता है, जिसके बाद महिला को इद्दत या तीन महीने की प्रतीक्षा अ...
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