नई दिल्ली, दिसम्बर 20 -- राजस्थान हाईकोर्ट ने 18 वर्ष पुराने मामले में तीन पुलिसकर्मियों को बरी करते हुए कहा है कि केवल ट्रैप (जाल) करके रिश्वत के साथ रंगे-हाथ पकड़े जाने का तथ्य भ्रष्टाचार का दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने कहा कि रिश्वत लेने के अपराध के लिए तीनों तत्वों स्पष्ट मांग, बरामद रकम और संबंधित काम के लंबित होने का प्रमाण अनिवार्य है। कोर्ट ने अपने फैसले में न्यायिक मानदंडों को दोहराते हुए कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दोष सिद्ध करने के लिए सिर्फ ट्रैप (जाल) में पैसे पकड़े जाने पर आधारित दलीलों से काम नहीं चलेगा। अदालत के अनुसार, मान लिया जाना चाहिए कि किसी सरकारी सेवक ने रिश्वत मांगी और स्वीकार की, तब ही भ्रष्टाचार का मामला स्थापित होता है और इस मांग को भी तथ्यों से स्पष्ट रूप से साबित किया...