गंगापार, मई 26 -- देवरिया गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत साप्ताहिक कथा में वृंदावन से आए स्वामी लोकेश आनंद सरस्वती ने कथा श्रवण के दौरान बताया कि भगवान श्री कृष्णा व सुदामा की मित्रता बहुत ही पवित्र व बेजोड़ थी। एक बार आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान गुरु माता की आज्ञा से दोनों लोग जंगल में लकड़ी तोड़ने गए। जहां भूख लगने पर सुदामा गुरु माता के दिए गए चावल को चुपके से खाना शुरू कर दिया। प्रभु तो अंतर्यामी थे। वह सब जानते थे। इसलिए उन्होंने जब सुदामा से पूछा तो सुदामा ने कहा प्रभु मै कुछ खा नहीं रहा हूं। ठंढी की वजह से दांत बज रहे हैं। शिक्षा ग्रहण करने के बाद दोनों अपने-अपने घरों को वापस लौट गए। सुदामा गरीबी से बेहाल थे। पत्नी के कहने पर वह प्रभु के दरबार पहुंचते हैं। मुरली मनोहर मित्र के आने की खुशी में नंगे पैर ही दौड़े चले जाते हैं।...