लखनऊ, अप्रैल 12 -- लखनऊ, प्रमुख संवाददाता। प्रदेश के सभी सरकारी कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पीएचडी के विद्यार्थियों से पूरी की जाएगी। सरकार कृषि विश्वविद्यालय में स्नातक के छात्र-छात्राओं के नियमित शिक्षण कार्य के लिए पीएचडी के विद्यार्थियों की सेवा लेने पर विचार कर रही है। इसके तहत पीएचडी के विद्यार्थियों को टीचिंग असिस्टेंटशिप का अवसर दिया जाएगा। बदले में मानदेय के रूप में विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से टीचिंग असिस्टेंटशिप के लिए पीएचडी विद्यार्थियों को प्रति लेक्चर 500 रुपये एवं अधिकतम 15000 रुपये प्रतिमाह तक का भुगतान किया जाएगा। प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। कृषि शिक्षा विभाग के आंकड़े के अनुसार कृषि विश्वविद्यालयों में करीब 50 फीसदी से अधिक शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। तकनीकी कारणों से ...