गोरखपुर, सितम्बर 15 -- गोरखपुर वरिष्ठ संवाददाता। कूल्हा प्रत्यारोपण के बाद अक्सर कई मरीजों के पैर छोटे या बड़े हो जाते हैं। दोनों पैर के बीच में पांच से 15 मिलीमीटर (मिमी) तक का अंतर हो जाता है। इसे दूर करने के लिए प्रत्यारोपण की नई तकनीक विकसित की गई है, इसे डायरेक्ट एटीरियर एप्रोच टू टोटल हिप रिप्लेसमेंट कहते हैं। पीजीआई लखनऊ के डॉ. कुमार केशव ने रविवार को कहा कि अब कूल्हा प्रत्यारोपण के लिए चिकित्सक पीठ के बजाय पेट की तरफ से सर्जरी करेंगे। अमेरिका में अब 50 फीसदी कूल्हा प्रत्यारोपण इसी तकनीक से हो रहा है। इसके लिए विशेष प्रकार के ओटी टेबल की जरूरत होती है। हालांकि पीजीआई लखनऊ में नॉर्मल ओटी टेबल पर ही इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है। पेट की तरफ से सर्जरी करने पर पैर के छोटा या बड़ा होने का रिस्क बेहद कम होता है। दोनों पैरों ...