लखनऊ, मार्च 21 -- केजीएमयू के डॉ. शैलेंद्र सिंह ने बताया कि किसी भी व्यक्ति का घुटना व कूल्हा प्रत्यारोपण करीब 20 से 25 साल तक प्रभावी रहता है। इधर कुछ साल में यह देखा गया है कि प्रत्यारोपण के कई मामले गड़बड़ होते जा रहे हैं। ओपीडी में आए दिन विफलता वाले इस तरह के करीब दो मामले आ जाते हैं। एक माह में प्रत्यारोपण विफल होने के मामले 10 से 12 हो जाते हैं। प्रत्यारोपण फेल होने वाले मामलों में दोबारा से ऑपरेशन करना और फिर से इंप्लांट डालना बहुत ही कठिन हो जाता है। क्योंकि तब हड्डी का काफी हिस्सा खराब हो चुका होता है। फिर उस स्थान पर दूसरी जगह की हड्डी लेकर इंप्लांट करने का प्रयास होता है। लखनऊ ऑर्थोपेडिक सोसाइटी और केजीएमयू की ओर से आयोजित आर्थोप्लास्टी सम्मेलन के प्री-इवेंट में विशेषज्ञों ने हड्डी की बीमारियों और घुटना प्रत्यारोपण की तमाम जान...