कुशीनगर, जुलाई 24 -- कुशीनगर। स्थापना के समय तय हुए उद्देश्यों से भटकी समितियों के कार्यप्रणाली ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हर न्याय पंचायत स्तर पर स्थापित की गईं समितियों में आज भी किसानों का हिस्सा जमा है। इसी हिस्से व जोत भूमि के आधार पर पूर्व में समितियों से किसान उधार खाद व बीज लिया करते थे और आसान ब्याज दर पर उसका भुगतान भी करते थे। यही हाल केनयूनियनों का था। यहां तो किसानों को कर्ज जमा भी नहीं करना पड़ता था बल्कि गन्ना मूल्य भुगतान से उनके कर्जे काट लिए जाते थे। अब न तो हिस्से का कोई मतलब है और न ही समिति के सदस्य होने का। किसानों को समय से उचित दर पर खाद बीज व कीटनाशक मिल जाय इसके लिए न्याय पंचायत स्तर पर स्थापित समितियों या केनयूनियन में किसान हिस्सा जमाकर सदस्य बनता था। उनकी सदस्यता, हिस्से व जोत भूमि के आधार पर उन्हें फस...
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