नई दिल्ली, सितम्बर 13 -- सुप्रीम कोर्ट ने एक विश्वविद्यालय के कुलपति को कथित यौन उत्पीड़न के मामले अपने बॉयोडाटा में दर्ज करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि गलती करने वाले को माफ करना उचित है, लेकिन गलती भूलना नहीं चाहिए। शीर्ष अदालत ने पीड़िता द्वारा शिकायत में देरी करने के कारण मामला खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल स्थित एक विश्वविद्यालय के एक संकाय सदस्य की याचिका पर यह आदेश पारित किए। जिसने दिसंबर 2023 में कुलपति द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए स्थानीय शिकायत समिति (एलसीसी) में शिकायत दर्ज कराई थी। एलसीसी ने पीड़िता की शिकायत समय सीमा समाप्त मानते हुए खारिज कर दी। घटना अप्रैल 2019 में हुई थी। लिहाजा पीड़िता ने शिकायत करने में तीन महीने की सीमा पार कर दी थी...