नई दिल्ली, अगस्त 17 -- प्रदीप कुमार मुखर्जी,पूर्व प्रोफेसर व विज्ञान लेखक लावारिस या आवारा कुत्तों की समस्या दिन-ब-दिन विकट रूप धारण करती जा रही है। एक ओर पशुप्रेमी, विशेष रूप से श्वानप्रेमी, आवारा कुत्तों के प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन करते हुए उन्हें खिलाते-पिलाते रहते हैं। मगर परेशानी यह है कि ये उन्हें अपने घर न ले जाकर गली की ही शोभा बनाए रखना चाहते हैं। दूसरी ओर, इन लावारिस कुत्तों से बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को खासतौर पर खतरा बना रहता है। कहीं-कहीं तो मौका मिलने पर ये नवजात शिशुओं को नोच-खसोटकर उनकी जान ही ले लेते हैं। चूंकि इन कुत्तों को लोगों का पूरा स्नेह नहीं मिल पाता, इसलिए वे आक्रामक होकर लोगों पर झपटकर उनमें दांत गड़ा देते हैं। यही कारण है कि देश की शीर्ष अदालत द्वारा 11 अगस्त को दिए गए फैसले का स्वागत जहां आम जनता ने क...