बिजनौर, जुलाई 23 -- सावन के महीने में भगवान शिव को प्रस्नन करने के लिये और अपनी मनोकामना सिद्धी के लिये पुरातन काल से कांवड़ की प्रथा चली आ रही है। समय के साथ कांवड़ यात्रा में भी परिवर्तन होते रहे हैं पिछले कुछ सालो से युवाओं में डाक कांवड़ का क्रेज बढ़ गया है। श्रावण मास के शुरू होते ही भोले के भक्त कांवड़ यात्रा के लिए निकल पड़ते हैं. इस दौरान कांवड़िए चार पवित्र नदियों का जल कांवड में एकत्रित करके सावन की शिवरात्रि के दिन अपने गृहनगर स्थित शिवालयों में शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। सामान्य कांवड़ के साथ साथ कुछ सालो से डाक कांवड़ का प्रचलन बढ़ गया है। खासकर युवाओं में। डाक कांवड़ सामान्य कांवड़ से अलग होती है. इस कांवड़ यात्रा में कांवड़िए बिना रुके पूरी श्रद्धा के साथ यात्रा करते हैं, ताकि निर्धारित समय पर शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर ज...