मैनपुरी, मार्च 18 -- दिहुली कांड का कोई एक कारण नहीं था, बल्कि इस कांड के पीछे दलितों के उभार और सवर्णों को चुनौती ने भी इस घटना को पैदा करने में बड़ी भूमिका निभाई। दिहुली में कुंवरपाल जाटव अपराध की दुनिया में उभर रहा था। उस समय राधे-संतोषा भी इसी गांव में अपनी बादशाहत कायम कर रहे थे। जानकार बताते हैं कि कुंवरपाल जिस गैंग का लीडर था उसमें राधे-संतोष भी शामिल थे। लेकिन कुंवरपाल जाटव था इसलिए राधे-संतोषा ने अलग गैंग बना लिया। बाद में कुंवरपाल की गला काटकर हत्या की गई तो राधे-संतोषा गैंग की चर्चा पूरे इलाके में हो गई। जानकार बताते हैं कि दिहुली कांड से पहले गैंग का असली सरगना कुंवरपाल जाटव था। राधे-संतोषा इस गैंग के सदस्य थे। लेकिन गांव की एक महिला का नाम कुंवरपाल से जुड़ा तो कुंवरपाल और राधे-संतोषा के बीच झगड़ा हो गया। 1978 में कुंवरपाल का ...