नई दिल्ली, सितम्बर 27 -- दिल्ली की गलियों में छिपी हैं अनगिनत कहानियां, जहां हर कोना एक पुरानी डायरी की तरह खुलता है। लेकिन आज हम बात करेंगे एक ऐसे पुल की, जो न सिर्फ ईंट-पत्थर से नहीं बल्कि एक ऐसी चीज से बना था, जो आपने मुहावरों में खूब सुनी होगी। वही 'फूटी कौड़ी न देने' वाला मुहावरा, यह पुल उसी कौड़ी की याद दिलाता है। हम बात कर रहे हैं पुरानी दिल्ली के 'कौड़िया पुल' की। चांदनी चौक की चहल-पहल से कश्मीरी गेट की हलचल तक फैला यह कौड़िया पुल आज भले ही इतिहास की किताबों में सिमट गया हो, लेकिन इसकी कहानी अभी भी जीवंत है।कैसे नाम पड़ा कौड़िया पुल? 18वीं शताब्दी का मुगल दौर में कौड़ी (सीप के छिलके) न सिर्फ आभूषण थे, बल्कि करेंसी के रूप में भी इस्तेमाल होते थे। इस पुल का नाम पड़ा 'कौड़िया' क्योंकि इसका निर्माण कौड़ियों की तरह चमकदार और सस्ती मुद्...