नई दिल्ली, अगस्त 30 -- अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो आपने मटिया महल इलाके के बारे में जरूर सुना होगा। लेकिन सोचा है कि आखिर इसका नाम मटिया महल कैसे पड़ा? यहां कभी मिट्टी का महल रहा होगा, लेकिन आज मटिया महल पुरानी दिल्ली का सबसे चमकदार ठिकाना है। जैसे ही सूरज ढलता है, बाजार की गलियां रोशनी में नहा उठती हैं। दिन का कचरा अचानक गायब-सा हो जाता है और रात का जादू शुरू होता है। भीड़ में ठेले वालों, खरीददारों और टहलने वालों का मेला लगता है। लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि 1857 की क्रांति के एक तूफानी शाम को यही गलियां वीरान थीं? मटिया महल के रहवासी जहीर देहलवी ने लिखा था कि उस शाम दुकानें लूटी गई थीं, दरवाजे बंद थे, और कहीं रोशनी की किरण तक नहीं थी।कैसे नाम पड़ा मटिया महल? मटिया महल का नाम सुनते ही जिज्ञासा जागती है, आखिर ये नाम आया कहां से? कहते है...
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