नई दिल्ली, अक्टूबर 23 -- दिल्ली शहर अपने सीने में अनगिनत कहानियां समेटे हुए है। गलियों में गूंजती सूफी कविताओं से लेकर किलों की दीवारों पर लिखी विजय गाथाओं तक, हर कोना एक नई दास्तान सुनाता है। इन्हीं में से एक है महरौली आर्कियोलॉजिकल पार्क में छिपा 'जमाली-कमाली मकबरा', जहां कुव्वत-उल-इस्लाम की मीनारों की छाया में एक प्रेम कथा सांस लेती है। जितना अजीब इस मकबरे का नाम है उतनी ही रोचक इसकी कहानी भी है।किसके नाम पर है मकबरा? 1528-29 के दौर में, जब बाबर का मुगल साम्राज्य दिल्ली की मिट्टी में जड़ें जमा रहा था, एक सूफी संत अपनी कविताओं से इतिहास रच रहा था। शेख हमीद बिन फजलुल्लाह, जिन्हें 'जमाली' के नाम से जाना जाता है, सिकंदर लोदी के दरबार से होते हुए बाबर और हुमायूं के आध्यात्मिक मार्गदर्शक बने। जमाली ने इस मस्जिद को बनवाया, जो लाल बलुआ पत्थर औ...
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