नई दिल्ली, सितम्बर 3 -- चांदनी चौक की तंग गलियों में, जहां रिक्शों की घंटियां और दुकानों की रौनक दिन-रात गूंजती है, वहां छिपा है एक ऐसा खजाना जो समय की परतों में लिपटा है। यह है बेगम समरू की हवेली, जो कभी मुगल दरबार की शान थी और अब भागीरथी पैलेस के रूप में दिल्ली के सबसे बड़े इलेक्ट्रिकल बाजार की सैर कराती है। आज हम आपको इसी हवेली की रोचक कहानी बता रहे हैं।नाचने वाली से रानी तक, बेगम समरू का बुलंद सफर कहानी शुरू होती है 1753 में, जब दिल्ली के पास एक साधारण परिवार में जोआना नोबिलिस का जन्म हुआ। एक नर्तकी के रूप में शुरुआत करने वाली यह महिला जल्द ही यूरोपीय भाड़े के सैनिक वाल्टर रेनहार्ड्ट (उपनाम 'समरू') की पत्नी बनी। पति की मौत के बाद, बेगम ने उनकी सेना की कमान संभाली और एक ऐसी योद्धा रानी बन गईं, जिनका नाम मुगल दरबार से लेकर ब्रिटिश हलकों...
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