नई दिल्ली, अक्टूबर 19 -- दिल्ली की हरी-भरी रिज पर छिपी एक टूटी-फूटी मीनार खड़ी है, जो सदियों पुरानी राजसी ठाठ-बाट और एक सूफी संत की अलौकिक गायब होने की दास्तान को समेटे हुए है। नाम है इसका पीर गायब यानी 'गायब हो जाने वाला पीर'। यहां एक पुरानी बावली भी है। कमला नेहरू रिज के एक कोने में बसी यह संरचना आज खंडहर सी लगती है, लेकिन इसके पीछे छिपी एक रोचक कहानी छिपी है।कभी बादशाह करने आते थे शिकार ये बात है 14वी सदी जब दिल्ली में फिरोज शाह तुगलक का शासन था। तुगलक ने ही इस मीनार को बनवाया था। उस वक्त इसका नाम 'खुश्क-ए-शिकार' था। जिसका मतलब था एक शानदार शिकारगाह। रिज के घने जंगलों में बादशाह और उनके दरबारी हिरणों का पीछा करते, तीर चलाते और शाम ढलते ही इस दोमंजिला इमारत में लौट आते। लेकिन समय की मार ने इसे खंडहर बना दिया।कैसे नाम पड़ गया पीर गायब शि...