नई दिल्ली, अक्टूबर 8 -- मई 1857 के विद्रोह के दौरान, दिल्ली के टेलीग्राफ ऑफिस से ब्रिटिश ऑपरेटरों ने आखिरी तार भेजकर पंजाब में ब्रिटिश सेना को विद्रोह की सूचना दे दी थी, जिसने क्रांति को कुचलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस ऐतिहासिक मोड़ को आज भी टेलीग्राफ मेमोरियल दर्शाता है। मई 1857 को दिन, जब दिल्ली की गलियों में विद्रोह की आग भड़क रही थी। मेरठ से आए सिपाहियों ने लाल किले पर कब्जा कर लिया, बहादुर शाह जफर को अपना नेता घोषित कर दिया। लेकिन एक छोटे से टेलीग्राफ ऑफिस में, दो ब्रिटिश ऑपरेटरों ने कुछ शब्दों में एक तार भेजा, जिसने इतिहास की दिशा बदल दी। ये तार पंजाब पहुंचा, ब्रिटिश फौजें हरकत में आईं और क्रांति की चिंगारी ठंडी पड़ गई। दिल्ली का टेलीग्राफ मेमोरियल आज भी उस पल की गवाही देता है। आज हम इसी टेलीग्राफ मेमोरियल की कहानी बता रहे ...
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