तिरुअनंतपुरम, अक्टूबर 23 -- मंदिर का पुजारी किसी खास जाति या फिर वंश से जुड़ा व्यक्ति होगा, यह धर्म सम्मत नहीं है। केरल हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह बात कही है। अदालत ने कहा कि यह हिंदू धर्म के ग्रंथों में कहीं भी वर्णित नहीं है कि किसी विशेष जाति का शख्स ही मंदिर का पुजारी हो सकता है या फिर किसी वंश का व्यक्ति ही बन सकता है। यदि कोई ऐसा चाहता है कि किसी खास जाति के लोग ही मंदिर के पुजारी हों तो उसे संविधान से भी कोई संरक्षण नहीं मिल सकता। जस्टिस राजा विजयराघवन और जस्टिस केवी जयकुमार ने त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड और केरल देवस्वम रिक्रूटमेंट बोर्ड की ओर से सिर्फ तंत्र विद्यालयों की ओर से अनुभव प्रमाण पत्र रखने वालों की भर्ती पर यह बात कही। केरल में अखिल केरल तंत्री समाजम नाम की एक सोसायटी है। इस सोसायटी से जुड़े करीब 300 परंपरा...