नई दिल्ली, मई 24 -- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी अदालत को 'निचली अदालत' कहना संविधान के मूल्यों के खिलाफ है जस्टिस अभय एस. ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने 1981 के एक हत्या के मामले में दो आजीवन कारावास की सजा पाए दोषियों को बरी करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ के लिए फैसला लिखने वाले जस्टिस ओका ने कहा कि फैसला सुनाने से पहले हम 8 फरवरी, 2024 के आदेश में दिए गए निर्देश को दोहराते हैं कि ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को 'निचली अदालत का रिकॉर्ड' नहीं कहा जाना चाहिए। किसी भी अदालत को 'निचली अदालत' कहना हमारे संविधान के मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने आदेश को प्रभावी बनाने के लिए पिछले साल फरवरी में एक परिपत्र जारी किया था। जज ने कहा कि उच्च न्यायालयों को निर्देश का संज्ञान लेना चाहिए और उस पर कार्रवाई करनी ...