शामली, जून 5 -- किसान विकास मंच के पदाधिकारियों ने डीएम कार्यालय में ज्ञापन देते हुए बिजली विभाग के निजीकरण का फैसला वापस लेने सहित अन्य बिजली समस्याओं का समाधान कराने की मंाग की है। दिए ज्ञापन में उन्होने कहा कि पावर कारपोरेशन ने वित्तीय समीक्षा बैठक में बिजली विभाग के दक्षिणांचल और पूर्वांचल वितरण निगमों के निजीकरण का फैसला लिया था और राज्य सरकार भी कारपोरेशन के इस निर्णय पर अपनी सहमति दिखाती नजर आ रही है। बिजली विभाग के निजीकरण का प्रयास राज्य सरकार 2022 के अंत में भी कर चुकी है। इसीलिए संदेह और ज्यादा बढ़ जाता है। किसान बिजली के निजीकरण का विरोध केन्द्र सरकार द्वारा बिजली संशोधन बिल, 2020 लाने से ही कर रहे हैं। इस कानून की वापसी 13 महीने के दिल्ली सीमाओं पर किसान आंदोलन का मुख्य मुद्दा रहा था। 9 दिसंबर को सरकार ने भी लिखित वादा किया था...
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