सुपौल, मई 13 -- त्रिवेणीगंज, निज संवाददाता त्रिवेणीगंज अनुमंडल में मक्का की खेती बड़े पैमाने पर की जाने लगी है। किसानों का कहना है कि स्थानीय बाजारों में बेशक मक्का और मक्के से बने खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमत लोग वहन करते हैं, पर इसका फायदा छोटे, मछोले किसानों या उत्पादकों को नहीं होता है। खेती से जुड़े छोटे और पट्टेदार किसानों को उनकी मेहनत का मुनाफा उतना नहीं हो पाता, जितना किसानों की मेहनत पर बिचौलिये कमा लेते हैं। हाइब्रिड बीज, कीटनाशक, उर्वरक समेत सिंचाई के एवज में किसानों का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। इस अनुपात में इनकी मेहनत की फसल पर चांदी बिचौलिये काट रहे हैं। सरकार की ओर से मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है पर अनाज की जगह ग्रीन कॉर्न के बढ़ती मांग से किसानों में हरे मक्के की बक्रिी का चलन बढ़ गया है। इस अनुपात में उन्...
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