भागलपुर, जुलाई 28 -- किशनगंज। वरीय संवाददाता किशनगंज शहर के गांधी चौक निवासी संतोषचंद श्यामसुखा (85) ने सोमवार को भोजनादि का आजीवन त्याग कर संथारा का संकल्प लिया है। तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमणजी की अनुमति प्राप्ति के बाद किशनगंज में विराजित समणी निर्देशिका भावित प्रज्ञाजी एवम सहवर्ती समणी संघ प्रज्ञाजी,समणी मुकुल प्रज्ञाजी ने संतोषचंद श्यामसुखा को समाज और परिवारजनों की उपस्थिति में संथारा का संकल्प दिलवाया। जैन धर्म में संथारा (या संलेखना) एक विशेष धार्मिक प्रथा है, जिसमें व्यक्ति स्वेच्छा से अपने जीवन का अंत करने के लिए भोजन और जल का त्याग करता है, ताकि आत्मा को शुद्ध किया जा सके और कर्मों से मुक्ति प्राप्त हो सके। यह प्रथा विशेष रूप से तब अपनाई जाती है जब व्यक्ति को लगता है कि उसका जीवन अपने अंतिम चरण में है, या वह गंभीर बी...