दिल्ली, सितम्बर 22 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण से जुड़े मामलों में अपनी रिट अधिकारिता (writ jurisdiction) का दुरुपयोग करने के प्रयासों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि न्यायिक प्रक्रिया को गलत इरादों (ulterior motives) को पूरा करने का हथियार नहीं बनाया जा सकता है। जस्टिस मिनी पुष्करना ने शाहीन बाग की एक विवादित संपत्ति से जुड़ी कुछ याचिकाओं का निपटारा करते हुए 50,000 का जुर्माना भी लगाया। यह राशि दिल्ली हाईकोर्ट एडवोकेट्स वेलफेयर ट्रस्ट को देनी होगी। कोर्ट ने गौर किया कि याचिका दायर करने वाला व्यक्ति संपत्ति से करीब ढाई किलोमीटर (2.5 km) दूर रहता है और कथित निर्माण से उसका कोई सीधा कानूनी या मौलिक अधिकार प्रभावित नहीं हो रहा है। कोर्ट ने टिप्पणी की, "स्पष्ट रूप से कोई मौलिक या कानूनी अधिकार प्रभावित नहीं हो रहे ...