लखीसराय, जून 12 -- लखीसराय। जलवायु परिवर्तन से मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहे है। जून की तपिश की अहसास होने लगा है। गर्मी की वजह से किऊल नदी का आंगन भी पानी के लिए तरसने लगा है। नदी सूखने से भूगर्भ जलस्तर पर भी इसका प्रभाव पड़ने लगा है। किसानों की फसल पानी के अभाव में सूख रहे है। जून माह में देह जला देने वाली गर्मी में मवेशियों के लिए पानी जुटाना मुश्किल हो रहा है। कुंदर से किऊल तक फैली नदी में कहीं भी पर्याप्त पानी नहीं है। सिंचाई के लिए ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार कुंदर बराज का आंगन भी पानी के लिए तरस रहा है। नदी में पानी नहीं रहने से उपजाऊ भूमि भी गर्मी में बंजर हो गई है। नदी किनारे बसे लोग गर्मी में फसलों की सिंचाई नदी के पानी से ही करते थे। लेकिन इस बार नदी किसानों को दगा दे रही है। नदी में बरसाती पानी का स्टॉक हो इसलिए कुंदर बराज का निर...
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