जमुई, अगस्त 25 -- झाझा, संजय बरनवाल /नगर संवाददाता कास के मनमोहक फूल ऋतु परिवर्तन का संदेश दे रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचरितमानस में वर्षा ऋतु का चित्रण करते हुए लिखा हैझ्र "फूले कास सकल महि छाई, जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई। अर्थात जब कास के फूल धरती को ढ़क लेते हैं, तब वर्षा ऋतु का अंत और शरद ऋतु का आरंभ निकट होता है। आज भी सितंबर निकटतम आते ही यही दृश्य प्रकृति को नयी आभा प्रदान करता है। रेल नगरी झाझा के आसपास, खास कर नारगंजो गांव की पहाडि़यों, खेतों की मेड़ों और नदियों के किनारे इन दिनों कास के सफेद फूल लहराते दिखाई दे रहे हैं। दूर-दूर तक फैले लंबे पुष्प जब मंद समीर के साथ अठखेलियां करते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो पूरी धरती ने श्वेत वस्त्र पहन लिया हो। यही दृश्य देवी दुर्गा के आगमन और शारदीय नवरात्र की आहट का एहसास भी कराता...