हेमलता कौशिक। नई दिल्ली, अक्टूबर 1 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- घर, गाड़ी और पालतू जानवर इंसान की जिंदगी का हिस्सा होते हैं। इनसे भावनात्मक जुड़ाव टूटना आसान नहीं। ऐसा ही रिश्ता था एक अप्रवासी भारतीय राजेश्वर नाथ कॉल का अपनी 19 साल पुरानी कार से। जिसे दिल्ली नगर निगम ने कबाड़ घोषित कर दिया था। लेकिन अदालत ने उसकी भावनाओं को समझा और कार को कबाड़खाने से बचा लिया। शर्त रखी गई- डेढ़ लाख रुपये पार्किंग शुल्क चुकाइए और अपनी यादें, अपनी कार वापस ले जाइए। न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि यहां मसला भावनाओं का है। प्रत्येक व्यक्ति भावनात्मकतौर पर किसी वस्तु या व्यक्ति से जुड़ा होता है। वह उसे खोना नहीं चाहता। पीठ ने कहा कि अक्सर अपना घर, वाहन व पालतु जानवर लोगों की जिंदगी का खास हिस्सा बन जाते हैं। अपने इस लगाव...