नैनीताल, सितम्बर 2 -- नैनीताल, संवाददाता। उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन का कहना है कि आशाओं को न वेतन मिल रहा है और न ही कर्मचारी का दर्जा। ऊपर से काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है। एक ओर जहां सरकारी अस्पतालों में सरकार डॉक्टर और जांच की सुविधा नहीं दे रही, वहीं दूसरी ओर डिलीवरी के लिए गर्भवतियों को निजी अस्पताल में भर्ती करने वाली कार्यकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश जारी किया जा रहा है। यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने बयान जारी कर कहा कि आशाओं को समय पर मानदेय नहीं मिलता। ट्रेनिंग में आने-जाने का खर्च भी नहीं दिया जाता। अस्पताल स्टाफ का व्यवहार भी उनके साथ अपमानजनक रहता है। कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर नियुक्त किए जाएं। जांच सुविधाएं मुहैया कराई जाएं और दवाइयों की कमी दूर की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि...