अयोध्या, अक्टूबर 7 -- अयोध्या। वर्ष के 12 महीनों में हर मास का अपना धार्मिक महत्व है। अलग-अलग तीर्थों में अलग-अलग मास में कल्पवास का विधान है। इस परम्परा में तीर्थ नगरी अयोध्या में कार्तिक कल्पवास की परम्परा सनातन काल से है। इस परम्परा के निर्वहन के लिए यहां लाखों श्रद्धालु देश भर से आते है। फिलहाल यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने अपने -अपने दीक्षा गुरुओं के अलग-अलग आश्रमों में आश्रय ले रहे है। वहीं आश्विन पूर्णिमा के पर्व पर मंगलवार से जप अनुष्ठान व दर्शन-पूजन के साथ सत्संग की दिनचर्या शुरु हो गयी है। यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने प्रातः काल मां सरयू के पुण्य सलिल में डुबकी लगाई और तुलसी व आंवला का पूजन कर दीपदान किया। वहीं मंदिरों में दर्शन के साथ कथाओं में सत्संग का भी पुण्य लाभ अर्जित किया। चातुर्मास का यह अंतिम मास है, इसी माह भगवान श्रीहरि य...