नई दिल्ली, नवम्बर 4 -- भगवान शिव ने जिस दिन त्रिपुरासुर का वध किया था, उस दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि थी। इसे 'त्रिपुरारी पूर्णिमा' भी कहते हैं। भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर के वध की खुशी में देवताओं ने शिव की नगरी काशी में जाकर दीप जलाए, इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को 'देव दीपावली' (05 नवंबर) भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार असुर तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने देवताओं को पराजित करने के लिए कठोर तप किया। उनके कठोर तप से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उनसे वरदान मांगने को कहा। तीनों ने अमर होने का वरदान मांगा। ब्रह्माजी ने यह अस्वीकार कर दिया, लेकिन ऐसा वरदान मांगने के लिए कहा, जिससे उन असुरों को मारना किसी के लिए भी असंभव जितना कठिन काम हो। तीनों ने बहुत विचार कर वरदान मांगा, 'आप हमारे लिए तीन अद्भुत नगरों का निर्माण करें। वे तीनों ...
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